Monday, November 27, 2023

दहेज प्रथा पर निबंध | Dowry System Essay In Hindi (100, 200, 500 शब्दों में)


दहेज मूल रूप से शादी के दौरान दुल्हन के परिवार वाले दूल्हे के परिवार को दिए नगदी, आभूषण, फर्नीचर, संपत्ति और अन्य कीमती वस्तुओं आदि की इस प्रणाली को दहेज प्रणाली कहा जाता है। यह सदियों से भारत में प्रचलित दहेज प्रणाली समाज में प्रचलित बुराइयां में से एक है। यह मानव सभ्यता पुरानी है और यह दुनिया भर में कई हिस्सों में फैली हुई है। 

Dahej pratha par nibandh

दहेज प्रथा भारतीय समाज के प्रमुख समस्याओं में से एक है। हर माता-पिता द्वारा बेटी को शादी के समय सनेहवश उपहार दिए जाने की परंपरा रही है।  विवाह के समय दिए जाने वाले इस उपहार को दहेज कहा जाता है। घर से विदा करते समय दिए जाने वाले घरेलू जरूरत के समान कपड़ा फर्नीचर कारण आदि दहेज में शामिल होते हैं। बेटी के नए जीवन को आसान बनाने का स्वैच्छिक प्रयास कलतरण में बाध्यता में परिवर्तित हो सकता है। ससुराल पक्ष के लोग उपहार की सूची बनाकर रखने लगे हैं दहेज प्रथा में बेटी को क्या दिया जाना है इसका फैसला वही करने लगे हैं इसके चलते दहेज प्रथा की समस्या मुंह फैलने लगी है। तो आज की इस आर्टिकल में हम आपको दहेज प्रथा के परिभाषा क्या है इसके बारे में विस्तार से जानेंगे। तो आप हमारे आर्टिकल पर अंत तक बन रहे हैं ताकि यहां से आपको पूरी जानकारी मिल सके कि दहेज प्रथा क्या है? दहेज प्रथा पर निबंध इस दहेज प्रथा की बुराइयों को कैसे हटाया जाए समाज से यह सब का विस्तार से जानकारी मिलेगा। 


दहेज की परिभाषा क्या है?

भारतीय परंपराओं में कन्या की शादी के समय कन्या पक्ष की तरफ से दूल्हे और उसके परिवार को बहुत से उपहार प्रदान किए जाते हैं यह परंपरा हमारे समाज में सदियों से चली आ रही है परंतु जब यह उपहार प्रदान करना कन्या पक्ष के लिए शोषण का रूप धारण कर लेता है तो इसे दहेज कहा जाता है। विवाह जैसी पवित्र रीति में जब लालच की भावना शामिल हो जाते हैं तो यह दहेज का रूप धारण कर लेती है। 


दहेज प्रथा पर निबंध - 1 (250 - 300 शब्द) 

परिचय

दहेज भारत के विभिन्न हिस्सों में फैली एक पुरानी प्रथा है और आज भी प्रचलित है यह शादी होने पर दो परिवारों के बीच पैसे या उपहार का आदान-प्रदान है दुल्हन के माता-पिता द्वारा दूल्हे या उसके परिवार को पैसा या महंगी चीज देना दहेज प्रथा कहलाता है। यह हमारे देश में प्रचलित एक सामाजिक को प्रथम है जिसके कारण लड़की के माता-पिता को आर्थिक बोझ बढ़ जाती है। 


दहेज प्रथा के कारण

समाज में दहेज प्रथा को बढ़ाने का एक मुख्य कारण पुरुष प्रधान समाज है। यह एक ऐसी स्थिति पैदा करता है जिसमें माता-पिता अपनी बेटी की शादी सुनिश्चित करने के लिए दहेज देने के लिए मजबूर होते हैं। दोनों लिंगों के बीच सामाजिक और आर्थिक समानता एक और प्रमुख कारक है जो हमारे देश में  दहेज प्रथा के प्रसार का कारण बनता है। 


दहेज प्रथा के प्रभाव

दहेज प्रथा का भारतीय आबादी पर दूरगामी प्रभाव पड़ा है और इसमें समाज को बहुत नुकसान पहुंचा है। इसने दुल्हन के परिवारों के लिए एक बड़ा वित्तीय भोज पैदा कर दिया है जिसके परिणाम स्वरुप व्यवहारी कर्ज में डूब जाते हैं। यह प्रथा कभी-कभी परिवारों को उच्च ब्याज दरों पर ऋण लेने या यहां तक की दहेज के लिए अपनी संपत्ति बेचने के लिए मजबूर करता है। इसके परिणाम स्वरुप कई निर्दोष लोगों की मौत भी हुई है क्योंकि लोग दूल्हा के परिवार की मांगों को पूरा करने के लिए इस प्रकार का कदम भी उठाते हैं। 


निष्कर्ष! 

दहेज प्रथा एक सामाजिक बुराई है जो कई सदियों से भारतीयों समाज को प्रभावित करती आ रही है। सरकार के प्रयासों के बावजूद यह प्रथा अभी भी भारत में अधिकांश देशों में प्रचलित है। इस प्रथा के पीछे सामाजिक रुटियों को तोड़ना और समाज में लैंगिक समानता का माहौल बनाना जरूरी है। 


दहेज प्रथा पर निबंध - 2 

उपहार में क्या मिलना चाहिए जब यह फैसला पानी वाला करेगा तो उसकी मनसा तो यही होगी कि अच्छे से अच्छा और महंगे से महंगा उपहार उसे मिले। यह बात हर कोई जानता है कि लोग और लालच का कोई अंत नहीं है। ससुराल पक्ष की अनाप-शनाप मांगो ने दहेज की समस्या को विकराल बना दिया है क्योंकि ससुराल पक्ष के लोग दहेज को अपना अधिकार समझ कर लड़की के मां-बाप के सामने अपनी मांग सूची पेश करने लगे और दावे करते हैं कि यह सब लड़की के लिए ले रहे हैं। ऐसे में अधिसूची में शामिल सामान देने में कन्या पक्ष समर्थ जाता है तो शादी करने से इनकार कर दिया जाने लगा है। अब तो ऐसी स्थिति बन गई है की रिश्ते तय करने से पहले दहेज तय किया जाता है संपन्न और शिक्षित परिवार में बेटी खुश रहेगी यह सोचकर मजबूरी में अपनी क्षमता से बाहर जाकर लड़की के मां-बाप किसी तरह शादी के लिए दहेज में चाहे गए सामान जताते हैं। अंततः विस्तार वाली लालची परवर्ती में दहेज प्रथा को विकराल बना दिया है। भारतीय समाज में लंबे समय में से चली आ रही कृतियों में से एक दहेज प्रथा जो कि दो दिलों और परिवार का मेल करने वाले पवित्र बंधन विवाह को कलंकित करने लग गई है। दहेज प्रथा को रोकने के लिए कानून भी बनाया गया। बावजूद इसके दहेज प्रथा 21वीं सदी से अब भी विद्वान है। 


Dahej Pratha Par Nibandh - 3 ( 400 Word) 

प्रस्तावना 

दहेज प्रथा जो लड़कियों को आर्थिक रूप से मदद करने के लिए एक सव्य प्रक्रिया के रूप में शुरू की गई, क्योंकि वे नए सीरियस से अपना जीवन शुरू करती है धीरे-धीरे समाज के सबसे बुरी प्रथा बन गई है। जैसे बाल विवाह, बाल श्रम, जाति भेदभाव, लिंग असमानता, दहेज प्रणाली आदि भी बुरी और सामाजिक प्रथाओं में से एक है जिसे समाज को अस्मित करने के लिए उन्मूलन की जरूरत है। हालांकि दुर्भाग्य से सरकारी और विभिन्न सामाजिक समूह द्वारा किए गए प्रयासों के बावजूद या बदनाम प्रथम अभी भी समाज का हिस्सा बनी हुई है। 


दहेज प्रणाली अभी भी कायम क्यों है?

दुल्हन के परिवार की स्थिति का अनुमान दूल्हे और उसके परिवार को गहने, नगद, कपड़े, संपत्ति, फर्नीचर और अन्य परिसंपत्तियों के रूप में उपहार देने से लगाया जाता है। यह चलन दशकों से प्रचलित है इस देश के विभिन्न भागों में परंपराओं का नाम दिया गया है और जब शादी जैसा अवसर होता है तो लोग इस परंपरा को नजर अंदाज करने की हिम्मत नहीं कर पाते। लोग इस परंपरा को अंधाधुंध पारण कर रहे हैं हालांकि यह अधिकांश मामलों में दुल्हन के परिवार के लिए बोझ साबित हुई है। 


प्रतिष्ठा का प्रतीक

कुछ लोग के लिए दहेज प्रथा एक सामाजिक प्रतीक से अधिक है लोगों को मानना है कि जो लोग बड़ी कर और अधिक से अधिक नगद राशि दूल्हे के परिवार को देते हैं इस समाज में उनके परिवार की छवि अच्छी बनती है। इसीलिए भले ही कई परिवार इन खर्चों को बर्दाश्त ना कर पाए पर वे भी शानदार शादी का प्रबंध करते हैं और दूल्हे तथा उसके रिश्तेदारों को कई उपहार देते हैं। यह इन दोनों एक प्रतियोगिता जैसा हो गया है जहां हर कोई दूसरे को हारना चाहता है। 


सख्त कानून का अभाव

हालांकि सरकार ने दहेज को दंडनीय अपराध बनाया है पर इससे संबंधित कानून को शक्ति से लागू नहीं किया गया है। विवाह के दौरान दिए गए उपहार और दहेज के आधार प्रदान पर कोई रोक नहीं है। यह खामियां मुख्य कारण में से एक है। क्यों यह बुरी प्रथा अभी भी मौजूद है। 


इनके अलावा लैंगिक असमानता और निरक्षरता भी अब भयंकर सामाजिक प्रथा के प्रमुख योगदान करता है। 


निष्कर्ष!

यह दुखदाई है कि भारत में लोगों द्वारा दहेज प्रणाली के दुष्प्रभावों को बुरी तरह से समझने के बाद भी यह जारी है। यह सही समय है कि देश में इस समस्या को खत्म करने के लिए हमें आवाज उठानी चाहिए। 


दहेज प्रथा पर निबंध 100 शब्दों में

भारत में दहेज प्रथा एक लंबे समय से चली आ रही प्रथम है और यह भारतीय संस्कृति में गहराई में बसी हुई है। यह दो परिवारों के बीच में एक पूर्व निर्धारित समझौता है और आमतौर पर शादी के समय तय किया जाता है। दुल्हन का परिवार दूल्हे के परिवार को विभिन्न उपहार तथा धन प्रदान करता है। इन उपहार में आमतौरों पर आभूषण कपड़े तथा नगदी शामिल होते हैं। हालांकि यह प्रणाली व्यापक रूप से स्वीकृत है फिर भी इसके कई नकारात्मक प्रभाव है। सबसे गंभीर परिणाम यह है कि इसके कारण समाज में लैंगिक भेदभाव उत्पन्न होता है कुछ मामलों में दूल्हे के परिवार की ओर से दहेज की मांग इतनी अधिक हो जाती है की दुल्हन के परिवारों के लिए उन्हें पूरा करना यसंभव हो जाता है। इस दुल्हन के परिवार को सामाजिक भेदभाव तथा आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ जाता है। 


दहेज प्रथा पर निबंध - 4 (500 शब्दों में)

  • अन्याय

दुल्हन के परिवार के लिए दहेज एक महत्वपूर्ण वित्तीय बोझ वहन करता है। इसीलिए लड़कियों को परिवार पर संभावित भोज और पर संभावित वित्तीय बर्बादी के रूप में देखा जाता है। यही दृष्टिकोण कन्या भ्रूण हत्या और पूर्ण हत्या का रूप ले लेता है। स्कूली शिक्षा के उन क्षेत्रों में जहां परिवार के लड़कों को फरमायता दी जाती है लड़कियों को अक्सर एशिया पर रखा जाता है। पारिवारिक सम्मान बनाए रखने के नाम पर उन पर कई तरह की सीमाएं लगाई जाती है और घर के अंदर रहने के लिए मजबूर किया जाता है। यू को अभी भी पवित्रता के माप के रूप में देखा जाता है जिसके कारण बाल विवाह की प्रथा जारी है। इस प्रथा को इस तथ्य से समर्थन मिलता है कि दहेज की राशि लड़की की उम्र के साथ बढ़ जाती है। 


  • महिलाओं के विरुद्ध हिंसा

आम धरना के विपरीत दहेज हमेशा एक बार दिया जाने वाला भुगतान नहीं होता है। पति का परिवार जो लड़की के परिवार को धन अधिनियम आपूर्ति के रूप में देखा है हमेशा मांग करता रहता है लड़की के परिवार के आगे की मांगों को पूरा करने के असमर्थता के परिणाम स्वरुप अक्सर मौखिक दुर्व्यवहार पारंपरिक हिंसा और यहां तक की हत्या भी हो जाती है। महिलाओं लगातार शारीरिक और मनोवैज्ञानिक शोषण सहती है और इसीलिए उनमें अवसाद का उत्पन्न होने और यहां तक की आत्महत्या का प्रयास करने का जोखिम बढ़ जाता है। 


  • वित्तीय बोझ 

दूल्हे के परिवार द्वारा की जाने वाली दहेज की मांगों के कारण भारतीय माता-पिता अक्सर लड़की की शादी या पर्याप्त धनराशि से जोड़कर देखते हैं परिवार अक्सर बड़ी मात्रा में कर्ज लेते हैं और घर गिरवी रखते हैं जो उनके आर्थिक या स्वस्थ को काफी नुकसान पहुंचता है।

 

  • लैंगिक असमानता

किसी लड़की से शादी करने के लिए दहेज देने का धरना लिंकन के बीच असमानता की भावना बढ़ती है। जिससे पुरुषों को महिलाओं से बेहतर समझा जाता है। युवा लड़कियों को स्कूल जाने से रोक दिया गया है जबकि उनके लड़कों को स्कूल जाने की अनुमति दी जाती है। उन्हें अक्सर या व्यवसाय करने से तहोत्सहित किया जाता है। क्योंकि उन्हें घरेलू कर्तव्यों के अलावा अन्य नौकरियों के लिए या योग्य माना जाता है। अधिकांश समय उनकी राय को चुप कर दिया जाता है नजर अंदाज कर दिया जाता है या अनदर के साथ व्यवहार किया जाता है। 


दहेज के अन्याय पूर्ण प्रथा को निपटाने के लिए एक राष्ट्र के रूप में भारत को अपनी वर्तमान मानसिकता में भारी बदलाव करने की आवश्यकता है। उन्हें या समझना चाहिए कि आज की दुनिया में महिलाओं हर उसे कार्य को करने के लिए पूरी तरह से सच्चा में जिसे करने में पुरुष सक्षम है महिलाओं को स्वयं यह धारणा छोड़ देनी चाहिए कि वह पुरुषों के अधीन है और उनकी देखभाल के लिए उन्हें किसी की जरूरत है। 


निष्कर्ष!

दहेज पर नई लड़की और उसके परिवार के लिए पीड़ा का कारण है। इस कुर्ती से छुटकारा पाने के लिए यहां उल्लेखित समाधानों से निर्मित से लिया जाना चाहिए और उन्हें कानून में शामिल करना चाहिए। इस प्रणाली को समाप्त करने के लिए सरकार और आम जनता को एक साथ खड़ा होना की बहुत जरूरत है। 


Dahej Pratha Par - 5(Nibandh 600 words)

प्रस्तावना 

दहेज प्रणाली भारतीय समाज का एक प्रमुख हिस्सा रही है। कई जगहों पर यह भारतीय संस्कृति में अंतर्निहित होने के लिए जानी जाती है और उन जगहों पर यह परंपरा से भी बढ़कर है। दुल्हन के माता-पिता नहीं इस अनुचित परंपरा को शादी खेल दौरान नगद रुपए और महंगे तो फॉर्म को बेटियों को देखकर उनकी मदद के रूप में शुरू किया क्योंकि उन्हें शादी के बाद पूरी तरह से नई जगह पर अपना नया जीवन शुरू करना पड़ेगा। 


शुरुआत में दुल्हन को नगद आभूषण और ऐसे अन्य उपहार दिए जाते थे परंतु इस प्रथा को एकमात्र उद्देश्य समय गुजारने के साथ बदलता चला गया और कब उपहार दूल्हा उसके माता-पिता और रिश्तेदारों को दिए जाते हैं। दुल्हन को दिए गए गहने, नगदी और अन्य सामान भी ससुराल वालों द्वारा सुरक्षित अपने पास रखे जाते हैं। इस प्रथा से निरपेक्षता लिंग क्या समानताएं और सख्त कानून की कमी जैसे कई कारकों को जन्म दिया है। 


दहेज प्रणाली के खिलाफ कानून

दहेज प्रणाली भारतीय समाज में सबसे जगन सामाजिक प्रणाली में से एक है। इसमें कई तरह के मुद्दों जैसे कन्या भ्रूण हत्या, लड़की को लावारिस छोड़ना, लड़की के परिवार में वित्तीय सामान्य, पैसे कमाने के लिए अनुचित साधनों का उपयोग करना, बहु को भावनात्मक और शारीरिक शोषण करने को जन्म दिया है। इस समस्या को रोकने के लिए सरकार ने दहेज को दंडनीय अधिनियम बनाते हुए कानून बनाए हैं। यहां इन कानून पर विस्तृत रूप से नजर डाली गई है। 


दहेज निर्देश अधिनियम, 1961

इस अधिनियम के माध्यम से दही देने और लेने की निगरानी करने के लिए एक कानूनी व्यवस्था लागू की गई थी। इस अधिनियम के अनुसार दहेज लेने देने की स्थिति में जुर्माना लगाया जा सकता है। सजा में काम से कम 5 वर्ष का कारावास और ₹15000 का न्यूनतम जुर्माना या दहेज की राशि के आधार पर शामिल है। दहेज की मांग दंडनीय दहेज की कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष मांग करने पर भी 6 महीने का कारावास और ₹10000 का जुर्माना हो सकता है। 


घरेलू हिसा अधिनियम, 2005 से महिला का संरक्षण

बहुत सी घरेलू के साथ अपने ससुराल वालों की दहेज की मांग को पूरा करने के लिए भावनात्मक और शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार किया जाता है। इस तरह के दुरुपयोग के खिलाफ महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए इस कानून को लागू किया गया है। यह महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाता है। शारीरिक, भावनात्मक, मौखिक, आर्थिक और यौन सहित सभी प्रकार के दुरुपयोग इस कानून के तहत दंडनीय है। विभिन्न प्रकार की सजा और दुरुपयोग की गंभीरता अलग-अलग है। 


दहेज प्रणाली को समाप्त करने के संभावित तरीके

सरकार द्वारा बनाए गए कानून के बावजूद दहेज प्रणाली की अभी-अभी समझ में एक मजबूत पकड़ है। इस समस्या को समाप्त करने के लिए यहां कुछ समाधान दिए गए निम्नलिखित है। 


  1. शिक्षा 

दहेज प्रणाली जाति भेदभाव और बाल श्रम जैसे सामाजिक प्रथाओं के लिए शिक्षा का अभाव मुख्य योगदानकर्ता में से एक है। लोगों को ऐसे विश्वास प्रणालियों से छुटकारा पाने के लिए कार्तिक और उचित सोच को बढ़ावा देने के लिए शिक्षित किया जाना चाहिए जो ऐसे बुरे प्रथाओं को जन्म देते हैं। 


  1. महिला सशक्तिकरण

अपने बेटियों के लिए एक अच्छी तरह से स्थापित दूल्हे की तलाश में और बेटी की शादी में अपनी सारी बचत को निवेश करने के बजाय लोगों को अपनी बेटी की शिक्षा पर पैसे खर्च करना चाहिए और उसे स्वयं खुद पर निर्भर करना चाहिए। महिलाओं को अपने विवाह के बाद भी काम करना जारी रखना चाहिए और ससुराल वालों के वह आत्मक टिप्पणियों के प्रति झुकने के बजाय अपने कार्य पर अपनी उर्जा केंद्रित करना चाहिए। महिलाओं को अपने अधिकारों और विवेक किस तरह खुद का दुरुपयोग से बचने के लिए उनका उपयोग कर सकती है अवगत कराया जाना चाहिए। 


  1. लैंगिक समानता

हमारे समाज में मूल रूप से मौजूद लिंक असमानता दहेज प्रणाली के मुख्य कर्म में से एक है। बहुत कम उम्र से बच्चों को या सिखाया जाना चाहिए कि दोनों पुरुषों और महिलाओं के समान अधिकार है और कोई भी एक दूसरे से बेहतर या कम नहीं है। 


इसके अलावा इस मुद्दे को संवेदनशील बनाने के लिए तरह-तरह के अभियान आयोजित किए जाने चाहिए और सरकार द्वारा निर्धारित कानून को एक अधिक कड़े बनाना चाहिए। 


निष्कर्ष!

दहेज पर नई लड़की और उसके परिवार के लिए पीड़ा का कारण है इस कुर्ती से छुटकारा पाने के लिए यहां मुलाकात समाधानों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और उन्हें कानून में शामिल करना चाहिए इस प्रणाली को समाप्त करने के लिए सरकार और आम जनता को साथ खड़ा होने की बहुत जरूरी है। 


FAQ 

Q. दहेज प्रथा का निबंध कैसे लिखें?

Ans. भारत में दहेज प्रथा एक लंबे समय से चली आ रही प्रथा है यार यह भारतीय संस्कृति में गहराई से बसी हुई है। यह दो परिवारों के बीच एक पूर्व निर्धारित समझौता है और आमतौर पर शादी के समय तय किया जाता है। दुल्हन का परिवार दूल्हे के परिवार को विभिन्न उपहार तथा धन प्रदान करता है। इन विभागों में आमतौर पर आभूषण कपड़े तथा नगदी शामिल होते हैं। हालांकि गैर कानूनी होने के बावजूद भी इस प्रणाली समाज में व्यापक रूप से स्वीकृत है फिर भी इसके कई नकारात्मक प्रभाव है। 


Q. दहेज प्रथा का निष्कर्ष क्या है?

Ans. दहेज प्रथा भारतीय समाज के जड़ से जुड़ी एक ऐसी कुप्रथा है। जिसकी वजह से भारत में कई लड़कियां और उसके मां-बाप मानसिक, शारीरिक व आर्थिक रूप से शोषित होते हैं। यह प्रथम गैर कानूनी घोषित होने के बाद भी आज भी भारतीय समाज में स्वीकृत है और खुलेआम व सहर्ष इसे स्वीकार किया जाता है। 


Q. दहेज प्रथा को रोकने का सबसे अच्छा उपाय क्या हो सकता है?

Ans. शिक्षा का प्रसार एवं बच्चों को फरवरी में समरूपता के साथ-साथ उच्च कोटि के संस्कार का आचरण। 


Q. भारत के किस राज्य में दहेज प्रथा को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है?

Ans. केरल


Q. भारत के किस राज्य में दहेज प्रथा के कारण बेटियों के सबसे अधिक मौत होती है?

Ans. उतर प्रदेश


निष्कर्ष!

उम्मीद करता हूं कि अब आपको अच्छे से समझ में आ गया होगा, दहेज प्रथा क्या है? दहेज प्रथा पर निबंध कैसे लिखें यहां पर हमने पांच ऐसे दहेज प्रथा पर निबंध लिखे हैं। जिसे आप पढ़कर बहुत ही आसानी से कर सकते हैं। अमित है कि आपका आर्टिकल अच्छा लगा होगा इस आर्टिकल से जुड़े अगर आपके मन में कोई भी सवाल है तो अपना कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं। 

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